कहानी का नाम: "सफलता की ऊंचाई"

 बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक बच्चा था जिसका नाम अर्जुन था। अर्जुन गरीब था, लेकिन उसमें एक अद्वितीय सपना था - एक दिन वह बड़ा आदमी बनेगा।

पारंपरिक समय:

एक दिन, गाँव के एक सबसे पुराने बड़े वृद्ध में से एक ने अर्जुन को एक जादुई कुर्सी के बारे में बताया। यह कुर्सी इतनी जादुई थी कि जो भी इस पर बैठता, वह अपने सपनों को हकीकत में बदल सकता था। लेकिन एक शर्त थी - इसे पूरी ईमानदारी से उपयोग करना था।



प्रमुख किरदार:

  1. अर्जुन: गाँव का छोटा सा बच्चा, सपनों का शिकार, जिसने कभी हार नहीं मानी।

  2. ग्राम वृद्ध: अर्जुन के मार्गदर्शक, एक समझदार बूढ़ा आदमी।

कहानी शुरू होती है:

एक दिन, गाँव में एक बड़ा मेला आया। वहां अर्जुन ने वो जादुई कुर्सी देखी और उसे खरीद लिया। अर्जुन ने ग्राम वृद्ध से कहा, "दादा, इसका सही तरीके से उपयोग कैसे करें?"

ग्राम वृद्ध ने हंसते हुए कहा, "बेटा, यह बहुत ही जादुई है। पहले, तुम्हें एक बड़ी सी इच्छा को मन में रखनी चाहिए। फिर कुर्सी पर बैठो और देखो कैसे यह तुम्हारी इच्छा को पूरा करती है।"

अर्जुन ने अपनी सबसे बड़ी इच्छा को मन में रखा - "मैं एक बड़ा व्यापारी बनूंगा और अपने गाँव की सहायता करूंगा।" और फिर वह उस जादुई कुर्सी पर बैठा।

पहला सस्पेंस मौका:

हंसते हुए ग्राम वृद्ध ने कहा, "अब बस देखो कैसे तुम्हारी इच्छा पूरी होती है!"

बस इतना कह कर, उसने बंदूक को अपनी ओर देखा और कहा, "जादू, मेरी बंदूक दोबारा तैयार हो जाए!"

ग्राम वृद्ध ने हंसते हुए कहा, "अरे अर्जुन, मैंने मजाक किया! इसे समझने के लिए तुम्हें सही समय पर सही बातों पर ध्यान देना होगा।"

दूसरा सस्पेंस मौका:



ग्राम वृद्ध ने फिर कहा, "अब तुम्हें अपनी इच्छा के तहत एक बड़ा घर चाहिए, ना?"

अर्जुन ने हाँ कहा और जादुई कुर्सी पर बैठते ही, गाँव के सबसे बड़े और सुंदर घर की तस्वीर आ गई। उसका मन चकित हो गया!

ग्राम वृद्ध ने हंसते हुए कहा, "लेकिन ध्यान रखो, यह तुम्हारे लिए एक सपना है, और सपने हमेशा मेहनत और समर्पण से ही पूरे होते हैं।"

तीसरा सस्पेंस मौका:

फिर ग्राम वृद्ध ने कहा, "अब देखो कैसे तुम्हारे सपने की मेहनत करते हैं!"

और बस उसी समय, ग्राम वृद्ध का हृदय रुक गया। अर्जुन ने देखा कि ग्राम वृद्ध की आंखों से आंसू बह रहे थे।

"दादा, क्या हुआ?" अर्जुन ने चिंगारी में पूछा।

चौथा सस्पेंस मौका:

ग्राम वृद्ध ने अर्जुन को आलसी होकर कहा, "बेटा, यह तुम्हारे सपने की मेहनत का हिस्सा है। जादूई कुर्सी तुम्हें एक आदमी बना सकती है, लेकिन यह तुम्हें एक अच्छे इंसान बना सकती है, जो दूसरों की भलाइयों के लिए काम करता है।"

यह कहकर ग्राम वृद्ध की आंखें बंद हो गईं।



पाँचवा सस्पेंस मौका:

अर्जुन ने समझा कि जादूई कुर्सी ने उसे एक महत्वपूर्ण सिख दी है। उसने ग्राम वृद्ध को देखते हुए कहा, "आप बहुत अच्छे आदमी थे, और मैं आपकी सिखों को भूला नहीं सकता।"

ग्राम वृद्ध की आँखें खुल गईं और उसने कहा, "बेटा, इसका यही सही तात्पर्य है। सपने देखना महत्वपूर्ण है, लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करना भी बहुत जरूरी है।"

ग्राम वृद्ध का आत्मा शांति से चला गया, और अर्जुन ने उसका आभास किया कि सपनों की पूर्ति के लिए उसे मेहनत करना होगा।

समाप्त:




इस प्रकार, अर्जुन ने ग्राम वृद्ध के आशीर्वाद से सिखा कि सफलता का राज न केवल सपनों में है, बल्कि मेहनत, समर्पण, और दूसरों के भले के लिए काम करने में छिपा होता है। वह बड़ा आदमी बनने की नहीं, बल्कि एक अच्छे इंसान बनने की मेहनत करने का निर्णय लिया।

सिख:

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें अपने सपनों की पूर्ति के लिए मेहनत करना होता है, और सफलता में हमेशा मेहनत और ईमानदारी का हिस्सा होता है। हर कदम पर सस्पेंस और मनोरंजन से भरी यह कहानी हमें एक गहरा सिख देती है और हमें यह याद दिलाती है कि सफलता का सबसे बड़ा मतलब है, अच्छे इंसान बनना।